हरियाणा में बनेगी World’s Largest Jungle Safari: 10,000 एकड़ में होगा वन्यजीवों का नया संसार

World’s largest jungle safari का सपना अब भारत में साकार होने जा रहा है, और वह भी हरियाणा के अरावली क्षेत्र में। हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम और नूंह जिलों के अंतर्गत अरावली पहाड़ी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी विकसित करने की योजना बनाई है। इस मेगा प्रोजेक्ट के तहत करीब 10,000 एकड़ भूमि पर जंगल सफारी का निर्माण किया जाएगा, जो न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक पर्यावरणीय और पर्यटन मॉडल बनेगा।

पहले चरण में 2500 एकड़ में होगी शुरुआत

हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने इस परियोजना को लेकर हाल ही में नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (वन एवं पर्यावरण) और मनोहर लाल (ऊर्जा और शहरी कार्य मंत्रालय) से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि परियोजना के पहले चरण में 2500 एकड़ में जंगल सफारी विकसित की जाएगी और इसका कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा। इस सफारी का उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और हरित विकास को भी मजबूती देना है।

दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने परियोजना को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया है, जिससे यह सफारी भविष्य में विश्वस्तरीय मानकों पर खड़ी उतर सके।

10,000 एकड़ में फैलेगी World’s Largest Jungle Safari

यह परियोजना इस मायने में खास है कि इसमें 10,000 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा, जो इसे वाकई में “World’s largest jungle safari” बनाएगा। हरियाणा सरकार ने पहले ही इस ज़मीन की पहचान कर ली है और अब इस पर काम शुरू होने को तैयार है। परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनाने का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है।

वंतारा सफारी से ली जाएगी प्रेरणा

इस परियोजना को वैश्विक स्तर की सुविधाओं और आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, और राव नरबीर सिंह ने हाल ही में गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा (Vantara) जंगल सफारी का दौरा किया। वंतारा सफारी वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी निजी वन्यजीव संरक्षण परियोजनाओं में से एक है।

इस दौरे का मकसद था वंतारा के संरक्षण, तकनीकी ढांचे और पर्यटन मॉडल को समझकर हरियाणा की सफारी में उसे अपनाना। इससे हरियाणा की जंगल सफारी भी विश्वस्तरीय मानकों पर टिक पाएगी।

केंद्रीय सरकार का पूर्ण सहयोग

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार करने में हरसंभव सहायता करेगी। उनका मानना है कि दिल्ली-एनसीआर जैसे अति-शहरीकृत क्षेत्र में इस तरह की परियोजनाएं पर्यावरण संरक्षण, बायोडायवर्सिटी संवर्धन और जनजागरूकता के लिए बेहद आवश्यक हैं।

उनके अनुसार, यह सफारी न सिर्फ देश-विदेश से पर्यावरण प्रेमियों को आकर्षित करेगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम की नींव भी रखेगी।

रोजगार, पर्यटन और हरित पहचान को मिलेगा बढ़ावा

पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने बताया कि यह सफारी राज्य में हरित पर्यटन (Green Tourism) को नई दिशा देगी। यह प्रोजेक्ट स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा।

साथ ही, यह जंगल सफारी हरियाणा की हरित छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाने का कार्य करेगी। इससे राज्य की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और सतत विकास के लिए एक ठोस आधार बनेगा।

अरावली क्षेत्र में ‘मातृ वन’ अभियान भी शुरू

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा सरकार ने अरावली पहाड़ियों को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए 27 जुलाई से ‘मातृ वन अभियान’ शुरू करने का निर्णय लिया है। इसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और भूपेंद्र यादव द्वारा किया जाएगा।

यह अभियान अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके तहत तीन-स्तरीय वन क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इस अभियान की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल से ली गई है।

20,000 पौधों से बनेगा “मातृ वन”

अभियान के तहत, शिव नादर स्कूल से घाटा चौक तक, शहर की विभिन्न RWA (रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) के सहयोग से करीब 20,000 पौधे लगाए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से यह क्षेत्र “मातृ वन” के रूप में विकसित होगा, जो पर्यावरणीय संतुलन, जल संरक्षण और वायु गुणवत्ता सुधार जैसे उद्देश्यों की पूर्ति करेगा।

राव नरबीर सिंह ने नागरिकों से इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा भविष्य तैयार किया जा सके।

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निष्कर्ष

हरियाणा की यह पहल केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक स्थायी विकास मॉडल भी बनकर उभरेगी। World’s largest jungle safari परियोजना भारत की वन्यजीव संपदा, तकनीकी क्षमताओं और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का परिचायक होगी। अरावली की गोद में यह सफारी एक नया इतिहास रचेगी और हरियाणा को वैश्विक मानचित्र पर एक हरित राज्य के रूप में स्थापित करेगी।