Vande Somnath Art Festival न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की प्राचीन कला परंपराओं और शिव भक्ति के अद्भुत मिलन का एक पवित्र मंच भी है। सोमनाथ जैसे ऐतिहासिक तीर्थ में, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु शिव की आराधना के लिए आते हैं, वहीं यह कला महोत्सव भारतीय नृत्य शैलियों में शिव तत्व को पुनः जीवंत करने का माध्यम बन गया है।
प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से सांस्कृतिक पुनर्जागरण
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री और श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और दूरदर्शिता ने सोमनाथ तीर्थ को न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी पुनर्स्थापित किया है। तीर्थयात्रियों को उच्चस्तरीय सुविधाएँ, जैसे सुव्यवस्थित रेल-बस नेटवर्क, किफायती आवास, और निःशुल्क भोजन प्रसाद उपलब्ध कराकर सोमनाथ को विश्वस्तरीय तीर्थ क्षेत्र बनाया गया है।
श्रावण 2025 में कला और भक्ति की भव्यता
विशेषकर श्रावण मास 2025 में जब लाखों भक्त जप, तप और पाठ के माध्यम से महादेव की आराधना कर रहे होंगे, उसी समय Vande Somnath Art Festival के माध्यम से देशभर से आए कलाकार अपने नृत्य के ज़रिए शिव को समर्पित कला आराधना कर रहे होंगे। यह अवसर सोमनाथ की सांस्कृतिक आत्मा को पुनः जाग्रत करने का एक पवित्र प्रयत्न है।
प्राचीन परंपरा का पुनरुत्थान
इतिहास में यह उल्लेख मिलता है कि नटराज शिव की आराधना हेतु हजारों नर्तकों ने सोमनाथ में नृत्य प्रस्तुत किया था। आज वही परंपरा फिर से जीवित हुई है – श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से आयोजित Vande Somnath Art Festival उसी दिव्यता को आधुनिक समय में पुनर्स्थापित कर रहा है।
मंच और आयोजन की भव्यता
श्रावण मास के हर सोमवार को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा निर्मित तीन मंचों पर संगीत, नृत्य और प्रकाश के संयोजन से भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत प्रदर्शन किया जा रहा है। यह आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सहयोग से हो रहा है जिसका उद्देश्य मंदिरों और तीर्थ स्थलों के आध्यात्मिक और कलात्मक वैभव को पुनर्स्थापित करना है।
तीन प्रमुख चरणों का वर्णन
पहला चरण
इस चरण में प्रसिद्ध नृत्यांगना पवित्रा भट्ट और उनकी टीम ने भरतनाट्यम से शुरुआत की। इसके बाद कदम पारिख और उनकी टीम ने कथक नृत्य से सबको मंत्रमुग्ध किया। नम्रता मेहता और सिद्धि वैकर ने ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे मंच पर शिवत्व की दिव्यता उतर आई।
दूसरा चरण
नादरूप वृंद, पुणे द्वारा कथक, रेमा श्रीकांत और उनकी शिष्याओं द्वारा भरतनाट्यम, और सोनल शाह व उनकी टीम द्वारा गुजराती लोक नृत्य (हुडो, राहडो) प्रस्तुत किए गए। गार्गी ब्यावर्ती, देवांशी देवगौरी और देविका मंगला मुखी ने कथक से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तीसरा चरण
इस चरण में तीन स्थलों – सागर दर्शन, समुद्र पथ प्रोमेनेड वॉकवे और चौपाटी मैदान – पर एक साथ प्रस्तुतियाँ हुईं। अंजलि स्मारक समिति, आनंदलहरी स्कूल, मुंबई, ध्रुबा इंस्टीट्यूट, कोलकाता, और ईशावास्य गुरुकुलम, पुणे ने भरतनाट्यम व कथक की भव्य प्रस्तुतियाँ दीं।
आगामी चरणों की रूपरेखा
चौथा चरण (04 अगस्त 2025)
- कृष्णेंदु साहा व उदयपुर के नृत्योर्मि स्कूल द्वारा ओडिसी
- कलावर्धिनी मंडली, पुणे द्वारा भरतनाट्यम
- लीना मालाकार, दिल्ली द्वारा कथक
- अन्य कलाकारों द्वारा कुचिपुड़ी और शिव आराधना की प्रस्तुति
पाँचवाँ चरण (11 अगस्त 2025)
- सुब्रत पंडा, दिल्ली और रस स्कूल द्वारा ओडिसी
- तत्व अकादमी, वडोदरा से कथक
- एस.पी.ए. संस्थान, अहमदाबाद द्वारा पारंपरिक भक्ति नृत्य
छठा चरण (18 अगस्त 2025)
श्रावण के अंतिम सोमवार को लिप्सा सत्पथी, कलामंडलम विष्णुप्रिया, कल्पा सर्जनी, नृत्यम अकादमी, अहमदाबाद, और कदम नृत्य केंद्र द्वारा कथक, भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम की भव्य प्रस्तुतियाँ होंगी।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक
Vande Somnath Art Festival केवल नृत्य कार्यक्रमों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा की पुनर्स्थापना है। जैसे प्राचीन काल में रानी चौलादेवी के समय हजारों नर्तकियाँ महादेव की आराधना करती थीं, वैसा ही दिव्य अनुभव आज फिर सोमनाथ की पावन भूमि पर जागृत हो रहा है।
चंद्र मौलेश्वर महादेव मंदिर और शिव समर्पण
सोमनाथ नगरी में हर गली में शिव का वास है। रामरख चौक के पास स्थित चंद्र मौलेश्वर महादेव मंदिर का उल्लेख स्कंध पुराण में भी मिलता है। इस मंदिर में माता पार्वती, नंदी, और अन्य देव स्वरूप विराजमान हैं। यहाँ प्रतिदिन भक्तगण यज्ञ, जप और सत्संग के माध्यम से शिव से आत्मिक एकता का अनुभव करते हैं।
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निष्कर्ष
Vande Somnath Art Festival एक पवित्र सांस्कृतिक आंदोलन है जो भारतीय कला, अध्यात्म और शिव भक्ति को एक साथ जोड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं बल्कि कलाकारों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बना है। सोमनाथ तीर्थ अब भक्ति, संस्कृति और भारतीय गौरव का प्रतीक बन चुका है, जहाँ हर प्रस्तुति एक नृत्यमय प्रार्थना बन जाती है।