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महादेवी को वंतारा भेजने के बाद Nandini Villagers का बड़ा फैसला – Ambani के Jio सिम और उत्पादों का बहिष्कार

🗓️ Published on: July 30, 2025 11:24 pm
Nandini Villagers

गुजरात स्थित वंतारा एनिमल केयर सेंटर में अपनी प्यारी हथिनी महादेवी को भेजे जाने के बाद Nandini villagers ने एक साहसिक और भावनात्मक फैसला लिया है। भले ही कानूनी लड़ाई में अंबानी पक्ष की जीत हुई हो, लेकिन नंदनी और शिरोल तालुका के लोगों के दिल इस निर्णय से टूट गए। इसका सीधा असर अब रिलायंस जियो के नेटवर्क और अन्य अंबानी उत्पादों पर देखने को मिल रहा है, जिसे ग्रामीणों ने पूरी तरह बहिष्कृत करना शुरू कर दिया है।

33 साल पुराना रिश्ता टूटा

कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका स्थित नंदनी गांव में एक जैन मठ है – स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पत्तारक संस्थान मठ। इसी मठ में 33 वर्षों से हथिनी महादेवी, जिसे प्यार से मधुरी भी कहा जाता है, रह रही थी। मठ के साथ-साथ पूरे गांव ने इस हाथी की एक बच्चे की तरह सेवा की। वह केवल एक जानवर नहीं थी – Nandini villagers के लिए वह घर की सदस्य थी।

महादेवी भी गांववासियों और मठ में आने वाले श्रद्धालुओं से बेहद प्रेम करती थी। लेकिन हाल ही में अदालत के फैसले के तहत महादेवी को गुजरात के जामनगर जिले में स्थित वंतारा भेज दिया गया, जो अंबानी परिवार द्वारा संचालित पशु पुनर्वास और देखभाल केंद्र है।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, भावनाओं की अनदेखी

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने भी मठ की याचिका खारिज कर दी और महादेवी को गुजरात भेजने का आदेश दिया। 28 जुलाई की रात, सभी धर्मों के लोगों ने नम आंखों से महादेवी को अंतिम विदाई दी। कई ग्रामीण इतने भावुक और नाराज़ हो गए कि उन्होंने हाथी को ले जा रहे वाहन पर पत्थरबाजी तक की। इसके बावजूद, कोर्ट के आदेश अनुसार महादेवी को वंतारा भेज दिया गया।

जियो सिम कार्ड का विरोध – एक अनोखा जनआंदोलन

महादेवी के जाने से आहत Nandini villagers ने एक अनोखा विरोध शुरू किया – उन्होंने Jio सिम कार्ड को दूसरी कंपनियों में पोर्ट करना शुरू कर दिया। शिरोल तालुका में हजारों लोग अब जियो छोड़कर दूसरी कंपनियों का नेटवर्क अपना रहे हैं।

जब जियो के प्रतिनिधि गांव में लोगों से मिलने पहुंचे और पूछा कि एक्टिव पैक होने के बावजूद वे सिम क्यों पोर्ट कर रहे हैं, तो ग्रामीणों ने गुस्से में जवाब दिया – “हमारा हाथी वापस लाओ।”

लोगों ने जियो कर्मचारियों से साफ कहा कि जब तक महादेवी वापस नहीं आती, तब तक वे जियो का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

अब सिर्फ सिम नहीं, पूरे ब्रांड का बहिष्कार

यह विरोध अब सिर्फ सिम कार्ड तक सीमित नहीं रहा। Nandini villagers ने अब अंबानी के अन्य उत्पादों और सेवाओं का भी बहिष्कार करने का निर्णय ले लिया है। रिलायंस से जुड़े सामानों का उपयोग बंद किया जा रहा है।

जियो के कस्टमर केयर में प्रतिदिन सैकड़ों कॉल आ रही हैं, जिनमें लोग कह रहे हैं कि “हम 5-50 लोग नहीं, सैकड़ों हैं – जब यह विरोध पूरे महाराष्ट्र में फैलेगा, तब असर दिखेगा।” कुछ ने तो यहां तक कह दिया – “अपने मालिक से कहो कि हमारा हाथी वापस लाओ, तभी हम जियो दोबारा चालू करेंगे।”

समुदाय की एकजुटता – भावना से प्रेरित विरोध

आज के समय में किसी जानवर के लिए पूरे गांव का एकजुट होकर किसी बड़े कॉर्पोरेट ब्रांड का बहिष्कार करना दुर्लभ है। लेकिन Nandini villagers ने यह कर दिखाया है। उन्होंने यह दिखाया कि पशुओं से जुड़ी भावनाएं कितनी गहरी हो सकती हैं – महादेवी उनके लिए सिर्फ एक जीव नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति, परंपरा और आत्मा का हिस्सा थीं।

कानून बनाम भावना

कानून ने भले ही महादेवी को वंतारा भेजने का निर्णय लिया हो, लेकिन Nandini villagers का मानना है कि उनसे कभी नहीं पूछा गया कि वे क्या चाहते हैं। गांववासियों का दावा है कि महादेवी को यहां कोई कष्ट नहीं था – उसकी सेवा, देखभाल और प्रेम से उसकी जिंदगी भरी हुई थी।

ग्रामीणों के अनुसार, अंबानी ने अदालत में भले ही केस जीत लिया हो, लेकिन दिलों की लड़ाई वे हार गए हैं।

यह भी पढ़े: Controversy over elephants in Nandini Math: क्या महादेवी हाथी वंतारा जाएगी या मठ में ही रहेगी?

निष्कर्ष: जब एक हाथी एक आंदोलन बन जाए

यह कहानी सिर्फ एक हथिनी की नहीं है। यह कहानी है एक गांव की, उसकी संस्कृति की, उसकी भावनाओं की, और एक शांत लेकिन मजबूत विरोध की।

Nandini villagers ने कोई नारे नहीं लगाए, कोई आंदोलन नहीं किया – उन्होंने सिर्फ अपने मोबाइल नेटवर्क, और उत्पादों को छोड़ कर एक मजबूत संदेश दिया: “जब तक महादेवी वापस नहीं आती, अंबानी के किसी भी उत्पाद को नहीं अपनाएंगे।”

यह विरोध शांत है, परंतु गहरा है। यह आधुनिक भारत में एक ऐसी आवाज़ है जो दिखाती है कि एक गांव, जब दिल से टूटता है, तो वह अपने तरीके से बहुत कुछ बदल सकता है।

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