Madhuri elephant news को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र में बड़ी बहस चल रही है। वन्यजीव कार्यकर्ताओं और पशु कल्याण संगठनों का मानना है कि इस हाथी को वापस कोल्हापुर भेजना ठीक नहीं होगा। PETA इंडिया का कहना है कि महाराष्ट्र में इस समय ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं है, जो महादेवी के इलाज और देखभाल के लिए जरूरी है।
PETA के अनुसार, महादेवी को एक शांत और खुला वातावरण चाहिए, जहां वह बिना रोक-टोक घूम सके, एक तालाब हो जिसमें वह अपने पैरों का दर्द कम कर सके, और आधुनिक पशु-चिकित्सा सुविधाएं हों जो उसके कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कर सकें। अभी ये सारी सुविधाएं केवल वंतारा में उपलब्ध हैं। इसलिए जब तक महाराष्ट्र में ऐसी व्यवस्था नहीं हो जाती, महादेवी को वंतारा में ही रहना चाहिए।
PETA ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर भविष्य में महाराष्ट्र में ऐसी सुविधाएं विकसित हो जाती हैं, तो उन्हें वहां महादेवी के इलाज से कोई आपत्ति नहीं होगी।
Madhuri elephant news: PETA का आधिकारिक बयान
PETA इंडिया ने एक बयान में कहा –
“हम महादेवी हाथी के भविष्य को लेकर चल रही चर्चाओं से अवगत हैं और चाहते हैं कि उसके लिए सबसे अच्छा फैसला लिया जाए। हम बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 जुलाई 2025 के आदेश से सहमत हैं। उसकी खराब सेहत को देखते हुए, उसकी भलाई सबसे ऊपर होनी चाहिए। जैसे इंसानों को कभी-कभी अस्पताल, लंबे इलाज और काम से रिटायरमेंट की ज़रूरत पड़ती है, वैसे ही हाथियों को भी पड़ती है।”
संगठन ने यह भी कहा कि जैसे इंसानों को साथ की ज़रूरत होती है, वैसे ही हाथियों को भी। हाथी सामाजिक जानवर हैं, जो झुंड में रहते हैं और परिवारिक रिश्तों को बहुत महत्व देते हैं। इसीलिए PETA चाहती है कि महादेवी अपने अन्य हाथी दोस्तों से वंतारा के राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट में मिले और उनके साथ रहे।
संगति और इलाज की ज़रूरत
हाथी अकेले रहकर खुश नहीं रह सकते। महादेवी लंबे समय से अकेली रही है और उसकी सेहत बिगड़ चुकी है, इसलिए अन्य हाथियों की संगति उसके मानसिक संतुलन और स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है।
PETA ने बताया कि महादेवी को विशेष पशु-चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है, जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की बीमारियों का इलाज शामिल है। वह ग्रेड-4 आर्थराइटिस से पीड़ित है, जो बहुत गंभीर अवस्था है और जोड़ों में तेज़ दर्द पैदा करता है। इसके साथ ही उसे फुट रॉट की समस्या है, जो कैद में रहने वाले हाथियों में आम है, लेकिन बेहद तकलीफ़देह होती है।
PETA के अनुसार, ये समस्याएं न केवल शारीरिक पीड़ा का संकेत हैं बल्कि गहरे मानसिक तनाव का भी। कई बार, ज्यादा तनाव में हाथी आक्रामक हो जाते हैं और हमला कर सकते हैं।
सालों की कैद और कोर्ट का फैसला
महादेवी ने अपने जीवन के 33 साल अकेलेपन में और कठोर कंक्रीट के फर्श पर बिताए हैं, जिससे उसके पैरों और जोड़ों को भारी नुकसान हुआ है।
बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि महादेवी को ऐसे स्थान पर ले जाया जाए जहां उसकी खास जरूरतों का ध्यान रखा जा सके। इस फैसले से उसे एक शांतिपूर्ण रिटायरमेंट, बेड़ियों से आज़ादी और पुराने घावों से उबरने का मौका मिला है।
PETA ने यह भी बताया कि अतीत में महादेवी ने तनाव में आकर मंदिर के प्रमुख स्वामी जी की जान ले ली थी। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि जब हाथियों को गलत माहौल में रखा जाता है, तो वे खतरनाक व्यवहार कर सकते हैं।
वंतारा क्यों है सबसे सही जगह
वंतारा एक विशेष हाथी देखभाल केंद्र है, जो महादेवी को वह सब प्रदान करता है जिसकी उसे ज़रूरत है – बड़े खुले मैदान, नहाने और जल-चिकित्सा के लिए तालाब, अनुभवी पशु-चिकित्सक, और अन्य हाथियों की संगति।
वंतारा में महादेवी को मिलता है –
- बेड़ियों और कैद से आज़ादी
- पानी में नहाकर आर्थराइटिस दर्द से राहत
- अन्य हाथियों के साथ मेल-जोल
- प्रशिक्षित डॉक्टरों से आधुनिक इलाज
- प्राकृतिक वातावरण में घूमने और मानसिक शांति का मौका
हाथियों को भी चाहिए रिटायरमेंट
PETA का मानना है कि जैसे इंसानों को लंबे समय तक काम करने के बाद आराम चाहिए, वैसे ही जानवरों को भी चाहिए। मंदिरों, सर्कस या पर्यटन में वर्षों तक सेवा करने वाले हाथी अक्सर गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। उनके लिए रिटायरमेंट कोई विलासिता नहीं, बल्कि हक है।
महादेवी की कहानी हमें यह सिखाती है कि लंबे समय तक कैद और गलत माहौल में रहना जानवरों को गहरी पीड़ा देता है। अगर अब उसकी भलाई को प्राथमिकता दी जाए, तो वह अपने बाकी के साल सुकून और सम्मान के साथ बिता सकती है।
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हाथी कल्याण पर बड़ी बहस
महादेवी का मामला पूरे देश में कैद में रखे गए हाथियों की हालत पर सवाल खड़ा करता है। कई हाथी मंदिरों, चिड़ियाघरों और निजी मालिकों के पास ऐसे हालात में रहते हैं जो उनकी ज़रूरतों के अनुरूप नहीं हैं—घंटों बेड़ियों में बंधे, बिना संगति के, और उचित इलाज से वंचित।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में हर राज्य को आधुनिक हाथी पुनर्वास केंद्र बनाने चाहिए, जहां प्राकृतिक वातावरण, चिकित्सीय सुविधाएं और प्रशिक्षित स्टाफ हो।
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नतीजा: सुविधा नहीं, दया को प्राथमिकता
Madhuri elephant news: Madhuri elephant को एक ऐसा भविष्य मिलना चाहिए, जिसमें उसकी सेहत और खुशी सबसे ऊपर हो। PETA इंडिया का कोल्हापुर भेजने पर विरोध कोई जिद नहीं, बल्कि दया और समझदारी की अपील है।
जब तक महाराष्ट्र में वंतारा जैसी सुविधा नहीं बनती, महादेवी को वहीं रहना चाहिए, जहां उसे बेड़ियों से आज़ादी, सही इलाज और अपने जैसे साथियों का साथ मिल सके। यही उसके जीवन के इस आखिरी पड़ाव पर सबसे बड़ा तोहफ़ा होगा।