क्या आपने कभी ऐसा गाँव देखा है जहाँ जाने से पहले टिकट लेना ज़रूरी हो? अगर नहीं, तो आइए आपको उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले में स्थित एक अनोखे गाँव – Khurpi Nature Village – के बारे में बताते हैं। यह गाँव अपने अनूठे मॉडल और विकास के नए मानदंडों के कारण आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
कहां स्थित है Khurpi Nature Village?

Khurpi Nature Village गाजीपुर ज़िले से मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित है। इस गाँव की सबसे खास बात यह है कि यहाँ प्रवेश करने के लिए ₹20 का टिकट लेना होता है। लेकिन जब आप गाँव के भीतर पहुँचते हैं, तो यह टिकट आपको पूरी तरह वाजिब लगता है। यहाँ का माहौल, व्यवस्थाएँ और नवाचार देखकर हर कोई चकित रह जाता है।
गाँव में शहर जैसी सुविधाएँ
गाँव में प्रवेश करते ही आपको चारों ओर स्वच्छता, रंग-बिरंगी दीवारों पर लिखे प्रेरणादायक संदेश और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। यहाँ आपको ओपन जिम, चिड़ियाघर, घुड़सवारी, और नौका विहार जैसी शहरों में मिलने वाली सुविधाएँ गाँव के ही बीचों-बीच मिलेंगी।
तालाब के किनारे मिट्टी के कुल्हड़ में गरमा-गरम चाय पीने का आनंद यहाँ कुछ अलग ही अनुभव देता है। ऐसे में पर्यटकों के लिए यह जगह सुकून और रोमांच दोनों का मिलाजुला एहसास बन चुकी है।
गाँव के निर्माता: युवा सिद्धार्थ राय
इस गाँव को इस मुकाम तक पहुँचाने का श्रेय जाता है एक युवा एमबीए ग्रेजुएट सिद्धार्थ राय को। सिद्धार्थ पहले बेंगलुरु में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर रहे थे और उन्हें अच्छा खासा पैकेज मिल रहा था। लेकिन 2014 में उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया – अपने गाँव लौटने का। उनका सपना था अपने गाँव की तस्वीर बदलना और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना।
डेढ़ एकड़ में बदलाव की कहानी
सिद्धार्थ ने अपने मित्र अभिषेक के साथ मिलकर डेढ़ एकड़ ज़मीन पर काम शुरू किया। शुरुआत गौपालन से हुई। उन्होंने दूध का व्यापार शुरू किया और फिर गोबर से जैविक खाद तैयार की। यह खाद बाहर के किसानों को बेची जाने लगी, जिससे गाँव की आय में इज़ाफा हुआ।
इसके बाद तालाब में मछली पालन और बत्तख पालन की शुरुआत की गई, जिससे पशुपालकों की आमदनी बढ़ी और गाँव में आर्थिक उन्नति का रास्ता खुला। आज Khurpi Nature Village में गाय, बकरी, खरगोश, तीतर, मुर्गियाँ और बत्तख जैसे पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं जो ग्रामीणों की आजीविका का साधन बन चुके हैं।
आत्मनिर्भरता की मिसाल: प्रभु रसोई
सिर्फ आर्थिक विकास ही नहीं, सिद्धार्थ ने सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया है। उन्होंने गाँव में प्रभु रसोई की शुरुआत की, जहाँ हर दिन 100 से 150 ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता है। यह रसोई दान में मिले पैसों और अनाज के सहयोग से चलाई जाती है। सिद्धार्थ कहते हैं, “जब मैं गाँव आया था, तो कई लोग भूखे थे। मुझे लगा कि किसी को तो शुरुआत करनी होगी।”
युवाओं और महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएँ
Khurpi Nature Village का मुख्य उद्देश्य गाँव के युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए यहाँ ओपन जिम की सुविधा है जहाँ युवा सुबह-शाम व्यायाम करते हैं, खासकर वे जो सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं।
महिलाओं और लड़कियों के लिए सिलाई प्रशिक्षण, कंप्यूटर शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि वे भी रोजगार के अवसर पा सकें। इसके अलावा गाँव में एक पुस्तक उद्यान भी है जहाँ हर किसी को किताब पढ़ने की सुविधा मिलती है। बस एक शर्त है – किताब पढ़कर उसे उसकी जगह पर वापस रखना होगा।
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क्यों है Khurpi Nature Village इतना खास?
यह गाँव सिर्फ एक दर्शनीय स्थल नहीं बल्कि ग्राम विकास और स्वरोजगार का एक सफल मॉडल बन चुका है। यहाँ का हर कोना बताता है कि जब एक युवा ठान ले कि बदलाव लाना है, तो वह अकेला भी बहुत कुछ कर सकता है।
आज Khurpi Nature Village न सिर्फ गाजीपुर, बल्कि देश के अन्य हिस्सों से भी पर्यटकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आकर्षित कर रहा है। यह गाँव दिखाता है कि आधुनिकता और परंपरा को साथ लेकर चला जाए, तो गाँव भी किसी शहर से कम नहीं हो सकता।
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निष्कर्ष
Khurpi Nature Village एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संकल्प और मेहनत से पूरे गाँव की तस्वीर बदल सकता है। यह गाँव अब सिर्फ एक स्थल नहीं बल्कि एक सोच, एक आंदोलन बन चुका है – जो देशभर के युवाओं को ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित कर रहा है।