Bhavnagar News : कुंभरवाड़ा स्कूल के नाटक ने बढ़ाया विवाद, बुर्का पहनी बच्चियों को आतंकवादी दिखाने पर आक्रोश

Bhavnagar – स्वतंत्रता दिवस, जो एकता, भाईचारे और सम्मान का दिन माना जाता है, इस बार भावनगर (गुजरात) के मुस्लिम समुदाय के लिए अपमान और पीड़ा का कारण बन गया। शहर की कुंभरवाड़ा स्कूल में आयोजित स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत एक नाटक ने पूरे समाज में गुस्सा, आक्रोश और गहरी चिंता पैदा कर दी है।

इस नाटक में नन्हीं बच्चियों, विशेषकर बुर्का पहनी मुस्लिम लड़कियों को आतंकवादी के रूप में दिखाया गया। जैसे ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, यह मुद्दा केवल भावनगर तक सीमित न रहकर पूरे गुजरात और देशभर में चर्चा का विषय बन गया।

नाटक को लेकर उठे सवाल

कार्यक्रम में बच्चों, अभिभावकों और स्थानीय नागरिकों की मौजूदगी में पेश किए गए इस नाटक ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्टेज पर बुर्का पहनी लड़कियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल दिखाया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद खान ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी:

“यह नाटक नहीं बल्कि ज़हर है। हमारे बच्चों को यह सिखाया जा रहा है कि मुसलमान यानी आतंकवादी। स्वतंत्रता दिवस पर, जब हमें भाईचारे और समानता की बात करनी चाहिए, तब इस तरह का दृश्य पेश करना अपमानजनक है।”

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएँ

इलाके की एक माँ, फ़ातिमा बानो ने कहा:

“यह कोई दुर्घटना नहीं थी। मुस्लिम लड़कियों को बुर्का पहनाकर आतंकवादी बताना समाज को बाँटने की सुनियोजित कोशिश है। बच्चे इसे देखकर क्या सीखेंगे? कि मुसलमान दुश्मन हैं? यह बेहद शर्मनाक है।”

सेवानिवृत्त शिक्षक प्रोफ़ेसर इक़बाल अंसारी ने कहा:

“नफ़रत अब कक्षाओं में भी दाखिल हो गई है। जब पाठ्यपुस्तकें पहले से ही पक्षपाती हैं और अब स्कूलों में ऐसे नाटक करवाए जा रहे हैं जिनमें मुसलमानों को आतंकवादी बताया जा रहा है, तो अगली पीढ़ी क्या सोचेगी? यह हमारे देश के लिए ख़तरनाक है।”

स्कूल और प्रशासन पर सवाल

इस पूरे मामले ने शिक्षकों और स्कूल के प्रधानाचार्य की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। सामाजिक संगठनों का कहना है कि जहाँ स्कूलों को बच्चों में भाईचारा, प्रेम और सम्मान की शिक्षा देनी चाहिए, वहीं से नफ़रत फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

वकील नसीम अहमद ने कहा:

“अगर कोई हिंदू लड़का अपराध करता है तो उसे अपराधी कहा जाता है। लेकिन अगर वही काम कोई मुस्लिम लड़का करे तो उसे आतंकवादी कहा जाता है। यह दोहरा मापदंड क्यों?”

अधिकारियों की कार्रवाई

वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने जाँच शुरू करने की घोषणा की है। हालांकि अभी तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। समुदाय के नेता और सामाजिक संगठन जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

महिला अधिकार कार्यकर्ता ज़ाहिदा शेख ने कहा:

“स्वतंत्रता दिवस हमें जोड़ने का दिन होना चाहिए, लेकिन इसका इस्तेमाल अपमान करने के लिए किया गया। यह भारत की असली भावना के खिलाफ अपराध है।”

मुस्लिम संगठनों की चिंता

गुजरात के कई मुस्लिम संगठनों ने इस मामले पर शिकायत दर्ज कराने और जवाबदेही तय करने की बात कही है। उनका कहना है कि अगर ऐसी घटनाओं को नहीं रोका गया तो यह समाज में सांप्रदायिक सौहार्द की जड़ों को कमजोर कर देंगी।

भावनगर घटना का व्यापक असर

कई लोगों के लिए यह घटना केवल भावनगर का विवाद नहीं बल्कि पूरे देश में बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया की झलक है। आलोचकों का मानना है कि नफ़रत को अब “देशभक्ति” की आड़ में शिक्षा व्यवस्था में घुसाने की कोशिश हो रही है।

छात्र नेता असलम पठान ने कहा:

“महात्मा गांधी गुजरात से थे। उन्होंने दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश दिया। और आज उसी गुजरात में स्वतंत्रता दिवस पर मुस्लिम बच्चियों को आतंकवादी बताकर पेश किया जा रहा है। यह गांधी का भारत नहीं है, यह आज़ादी की मूल भावना का अपमान है।”

घटना से जुड़े मुख्य तथ्य (टेबल)

बिंदुविवरण
स्थानकुंभरवाड़ा स्कूल, Bhavnagar
तारीख15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस
घटनाबुर्का पहनी बच्चियों को आतंकवादी दिखाने वाला नाटक
प्रतिक्रियासमाज में गुस्सा, आक्रोश और चिंता
जिम्मेदार पर सवालस्कूल प्रशासन, शिक्षक, प्रधानाचार्य
प्रशासनिक कदमजांच की घोषणा, पुलिस बयान अभी बाकी
समाज की मांगजिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई, भविष्य में रोकथाम

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निष्कर्ष

भावनगर की यह घटना दिखाती है कि कैसे अज्ञानता और नफ़रत को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर बच्चों तक पहुँचाया जा रहा है। स्कूल जैसी संस्थाओं से समाज में भाईचारा, प्रेम और राष्ट्रीय एकता का संदेश जाना चाहिए, न कि किसी समुदाय को बदनाम करने का।

Bhavnagar की यह घटना केवल स्थानीय विवाद नहीं बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि शिक्षा प्रणाली में नफ़रत का ज़हर न घुलने पाए। समाज को एकजुट होकर ऐसे प्रयासों का विरोध करना होगा ताकि भारत की असली पहचान – विविधता में एकता – कायम रह सके।