गुजरात में हरित आवरण बढ़ाने की दिशा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए “हरित वनपथ योजना” की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से राजमार्गों और तटीय मार्गों के दोनों ओर वृक्षारोपण के माध्यम से हरियाली को बढ़ाना है। इसके तहत राज्य भर में लगभग 7.63 लाख पौधे लगाने की योजना बनाई गई है।
गुजरात वृक्षारोपण अभियान का मुख्य उद्देश्य
गुजरात सरकार का यह वृक्षारोपण अभियान केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध राज्य के सतत विकास लक्ष्यों से भी है। हरित वनपथ योजना के अंतर्गत कच्छ और सौराष्ट्र समेत पूरे राज्य के जिलों में सघन वृक्षारोपण का काम किया जाएगा। यह अभियान सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर आधारित होगा, जिसमें आम लोगों और संगठनों की भागीदारी को भी शामिल किया गया है।
वन विभाग और मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच ऐतिहासिक समझौता
इस अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए वन विभाग ने गांधीनगर में मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट (सद्भावना वृद्धाश्रम) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के अंतर्गत द्वारका से सोमनाथ और अन्य प्रमुख मार्गों के किनारे 40 हजार पौधे लगाना है।
इस समझौते पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, वन एवं पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा और राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल की उपस्थिति में किए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव एम. के. दास, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. ए. पी. सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर. के. सुगुर और ट्रस्ट के विजय डोबरिया भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदचिह्नों पर राज्य की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु देशवासियों को अधिकाधिक वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया है। ‘पद मान के नाम’ जैसी पहल के माध्यम से उन्होंने देश को यह संदेश दिया है कि हर व्यक्ति अपनी मां की याद में एक पौधा लगाकर धरती मां को हरा-भरा बनाए।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की यह हरित पहल प्रधानमंत्री के संकल्पों की पूर्ति की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है। इससे न केवल राज्य में हरियाली बढ़ेगी, बल्कि लोगों में भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
हरित वनपथ योजना से जुड़ी मुख्य जानकारियाँ
जानकारी | विवरण |
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योजना का नाम | हरित वनपथ योजना |
मुख्य उद्देश्य | राजमार्गों और तटीय सड़कों के किनारे वृक्षारोपण |
कुल पौधारोपण लक्ष्य | 7.63 लाख पौधे |
साझेदार संगठन | मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट – सद्भावना वृद्धाश्रम |
कार्यस्थल | द्वारका से सोमनाथ समेत राज्य के सभी जिले |
वृक्षारोपण पद्धति | 10×10 मीटर दूरी पर 45x45x45 सेमी गड्ढों में 8 फीट ऊँचे पौधे |
प्रमुख पौधों के प्रकार | बरगद, पीपल आदि |
कार्य की शैली | सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल |
राज्य के हरित कवर को मिलेगा नया जीवन
सड़क के दोनों ओर हरियाली फैलने से राज्य का न केवल सौंदर्य बढ़ेगा बल्कि इससे प्रदूषण में भी कमी आएगी। यह पहल पर्यावरणीय असंतुलन को कम करने में सहायक होगी। बरगद और पीपल जैसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले वृक्षों का चयन इस योजना की दीर्घकालिक सोच को दर्शाता है।
सामाजिक सहभागिता का अद्भुत उदाहरण
मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि सरकार केवल अपने स्तर पर काम नहीं कर रही, बल्कि समाज के हर वर्ग को इस अभियान से जोड़ना चाहती है। यह जनभागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिससे समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।
हरियाली से विकास की दिशा में बढ़ता गुजरात
हरित वनपथ योजना न केवल पर्यावरणीय संकट का समाधान है, बल्कि यह राज्य की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। हरित आवरण बढ़ने से बायोडायवर्सिटी में सुधार होगा, वहीं ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
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निष्कर्ष: हरित वनपथ योजना
गुजरात की “हरित वनपथ योजना” मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की दूरदर्शिता और पर्यावरण के प्रति उनकी गंभीरता का प्रतीक है। यह योजना न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में सहायक होगी, बल्कि राज्य को एक हरे-भरे और स्वच्छ वातावरण की दिशा में अग्रसर भी करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक पहल है, जिसमें सरकार और समाज दोनों की सहभागिता है।